जानिए मकर ध्वज बालाजी धाम के बारे में--
हर बाधा का निवारण करते हैं मकरध्वज बालाजी--
चारो और चमत्कार ~ मकरध्वज बालाजी धाम--
राजस्थान के अजमेर से 50 किलोमीटर दूर स्थित ब्यावर नगर, कलियुग के साक्षात चिर आराध्य एवं जन आस्था के लोक मंगलकारी देव मकरध्वज बालाजी के कारण संपूर्ण देश के नर-नारियों का पुण्य आराधना धाम बन गया है। यहां शारीरिक-मानसिक व्याधियों के अलावा भूत-प्रेत डाकिन-चुडेल, जादू-टोने आदि बाधाओं से मुक्ति मिलती ही है, साथ में मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। यहां इतने साक्षात चमत्कार देखने को मिलते हैं, कि नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
त्रेतायुगीन संदर्भों से जुड़ा ब्यावर के बलाड़ रोड़ पर यह प्रख्यात मंदिर विद्यमान है। यह धाम नाना गाथाओं-मान्यताओं को समेटे हुये उपासकों-भक्तों, तंत्रविदों के लिए जाग्रत साधना केंद्र बना हुआ है। मकरध्वज बालाजी के दर्शनार्थ दूर-दूर से आये भक्तों का मेला तो प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को लगता है, परंतु चैत्र पूर्णिमा-हनुमान जयंती, आषाढ़ पूर्णिमा गोरखनाथ गुरु महोत्सव, भाद्रपद पूर्णिमा, मकरध्वज जयंती पर बाबा के इस तीर्थधाम का विशेष आकर्षण अपने भक्तों को अपनी ओर आकृष्ट करता है। ऐसे पावन अवसरों पर हजारों, लाखों की संख्या में भक्त पुरुष-नारी, बच्चे-बूढ़े भक्ति भाव से युक्त हो अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए मकरध्वज बालाजी को नारियल, छत्र, ध्वजा, चोला-श्रंृगार, भोग-प्रसाद चढ़ाते हैं।
पूजन-अर्चन और भक्तों की भीड़ का क्रम मकरध्वज बालाजी धाम का सहज आकर्षण है। इस धाम के प्रति लोगों की अटूट आस्था है। मकरध्वज बालाजी धाम को चैरासी लाख योनियों के बंधन से मनुष्य को मुक्त कराने वाला महातीर्थ कहा गया है। मान्यता है कि इस सिद्ध-पीठ की चैरासी मंगलवार या चैरासी पूर्णिमा को जो श्रद्धालु अनवरत दर्शन-परिक्रमा करता है, वह 84 लाख योनियों के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।
ब्यावर-राजस्थान के बलाड रोड स्थित श्री मकरध्वज बालाजी महाराज देश ही नहीं दुनिया भर में लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं। कहते हैं कि यह ऐसा स्थान है जहां नास्तिक से नास्तिक व्यक्ति भी आस्तिक बन जाता है, आज के वैज्ञानिक युग के वैज्ञानिक भी यहां नतमस्तक हुए बगैर नहीं रहते है। चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा ही अपनी ओर खींच लेता है। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
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राजस्थान में ब्यावर नगर के बलाड मार्ग पर विद्यमान यह प्रख्यात मंदिर त्रेतायुगीन संदर्भो से जुडा हुआ है ! बताया जाता है कि त्रेता युग में हनुमान जी के श्रम बूंद से उत्पन्न पुत्र मकरध्वज ने लंका विजय अभियान में श्रीराम का साथ दिया था तब श्रीराम ने उन्हें पातालपुरी का राज्य प्रदान किया। परंतु मकरध्वज के हनुमंत-सुत होने के कारण देवी सीता के आग्रह पर भगवान श्रीराम ने उन्हें पाताल से बुलाकर तीर्थराज पुष्कर के निकट नरवर से दिवेर तक के कांतार प्रदेश का अधिपति बना दिया। श्रीराम के नित्य साकेत धाम प्रस्थान के समय उहोंने हनुमान को ‘‘जब तक राम नाम संसार में रहे, तब तक जीवन्मुक्त होकर इस पृथ्वी पर सुखपूर्वक रहो’’ यह वरदान दिया और हनुमंत-सुत मकरध्वज को भगवान श्रीराम ने यह वरदान दिया कि ‘‘कलियुग में ये जाग्रत देव के रूप में भक्तों का समभाव से संकट निवारण करेंगे, उनकी मनोकामनाएं पूरी करेंगे।’’ तदुसार कलियुग के इस चरण में मगरांचल के मध्य भूभाग से जहां पूर्व में मकरध्वज का सिंहासन था, उस पावन स्थल पर मकरध्वज बालाजी के विग्रह का प्राकट्य हुआ। उसी समय हनुमान बालाजी भी सविग्रह यहां पुत्र के साथ विराजमान हो गये। कालांतर में वर्तमान महंत के पुवाचार्यो ने मंदिर का निर्माण एवं जीर्णोद्दार करवाया !यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
2 - मंदिर की बनावट के बारे में बताये ? क्या किसी विशेष शैली में बना है मकरध्वज बालाजी धाम ?
मुझे नहीं लगता कि किसी विशेष शैली में यह मंदिर बना है , वास्तु शिल्प के द्रष्टिकोण से भले ही यह धाम महत्वपूर्ण नहीं हो परन्तु अपनी चमत्कारी प्रभावशीलता के दृष्टिकोण से यह बहुत महत्वपूर्ण है !यहां इतने साक्षात चमत्कार देखने को मिलते हैं, कि नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं। बाबा के भक्तों में प्रोफेसर, डाॅक्टर और वकील जैसे तार्किक वर्ग के शिक्षितों का समावेश इसी तथ्य का परिचायक है। यहां एक नहीं कई-कई लोगों के मुख से सुना है कि अस्पताल के उपचार, चिकित्सकीय परामर्श से लाभ नहीं मिला तो वे यहां आये और स्वास्थ्य लाभ लिया। यहां दवा कुछ नहीं बाबा की ज्योति की भभूत, धागा और जल ही लकवा, मिरगी, टी.बी., संताहीनता, शुगर, अनिद्रा, ब्लड प्रेशर जैसे अनेक दुसाध्य तथा असाध्य रोगों में लाभकर होता है।यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
3 - वर्तमान मंदिर में किस - किस ईश्वर का विग्रह रूप स्थापित है ?
मकरध्वज बालाजी धाम परिसर में गुरु गोरखनाथ , घंटाकर्ण महावीर, भैरवनाथ, श्मशानेश्वर, प्रेतराज, समाधि नाथ महाराज की प्रतिमायें प्रतिष्ठित हैं। ये सभी देव प्रतिमायें एवं पूजन स्थल अदभुत, आकर्षक एवं चमत्कारी हैं तथा साक्षात परचा देते हैं। इन सबके कारण यहां की पुण्य भूमि अलौकिक शक्तियों से युक्त है। काल क्रम में इन देव शक्तियों ने अपनी लीला फैलायी। फलस्वरूप इस दरबार की महिमा इतनी जग प्रसिद्ध हो गई कि भक्तों की ओर से इन्हें ‘हाथ का हजूर’ और ‘जागती-जोत’ माना जाता है।
4 - अन्य मंदिरों से कितना अलग है यह धाम ? कोई मुख्य विशेषता ?
विश्वास किया जाता है कि यहां की गई पूजा कभी निष्फल नहीं जाती तथा इस दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता। जो जितना मांगता है, भगवान उसे खुले दिल से देते हैं। यहां आने का सौभाग्य केवल उसे ही मिलता है, जिसे बाबा स्वयं बुलाते हैं, क्योंकि कलियुग में पापी जीवों का यहां पहुंचना दुर्लभ है। प्रभु के इस जाग्रत दरबार में हाजरी-अर्जी लगाने मात्र से भक्त को अभयदान मिलता है। यहां शारीरिक-मानसिक व्याधियों के अलावा भूत-प्रेत डाकिन-चुडेल, जादू-टोने आदि बाधाओं से मुक्ति मिलती ही है, साथ में मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। हजारों भक्त इनके चमत्कार से लाभान्वित हुए हैं। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
5 - मंदिर में किस दिन विशेष पूजन किया जाता है ?
मकरध्वज बालाजी के मंदिर में प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजन अर्चन किया जाता है इन दिनों दूर-दूर से आये भक्तो का मेला सा लगता है, परंतु चैत्र पूर्णिमा-हनुमान जयंती, आषाढ़ पूर्णिमा गोरखनाथ गुरु महोत्सव, भाद्रपद पूर्णिमा, मकरध्वज जयंती पर बाबा के इस तीर्थधाम का विशेष आकर्षण अपने भक्तों को अपनी ओर आकृष्ट करता है। ऐसे पावन अवसरों पर हजारों, लाखों की संख्या में भक्त पुरुष-नारी, बच्चे-बूढ़े भक्ति भाव से युक्त हो अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए मकरध्वज बालाजी को नारियल, छत्र, ध्वजा, चोला-श्रंृगार, भोग-प्रसाद चढ़ाते हैं। पूजन-अर्चन और भक्तों की भीड़ का क्रम मकरध्वज बालाजी धाम का सहज आकर्षण है।
6 - इसके अलावा और कोई मुख्य विशेषता जो आप हमें बताना चाहे ?
संपूर्ण भारत देश में ब्यावर का यह एक मात्र अनूठा मंदिर है, जहां वर्तमान में एक ही स्थान पर हनुमान और उनके पुत्र मकरध्वज अर्थात दोनों पिता-पुत्र की पूजा अर्चना की जाती है। इसी स्थल पर प्राचीनकाल में नाथ संप्रदाय के गुरु गोरखनाथ ने दीर्घकाल तक तप किया था और यहां नाथ सिद्ध पीठ-ध्वज पंथ की स्थापना की थी। वर्तमान मंदिर परिसर में स्थित महायोगी गोरखनाथ का धूणा भी बहुत सी रहस्यमयी शक्तियों से परिपूर्ण है। लोक-श्रुति के अनुसार गोरख-धूणें की 7 परिक्रमा लगाने से संकट निवारण होकर कामना की पूर्ति होती है। यहां वट वृक्ष के निकट नाथ वंशजों की बहुत सी समाधियां हैं।
7 - यह जो चोला है किस चीज का बना होता है , क्या यह किसी विशेष प्रकार का वस्त्र है ?
मकरध्वज बालाजी को सिंदूर बहुत प्रिय है , अत: सिंदूर , तिल्ली तेल , देशी घी , चमेली तेल , गुलाब इत्र का मिश्रण कर मूर्ति पर लेप किया जाता है - इसे " चोला " चढ़ाना भी बोलते है , फिर उस पर बर्क से श्रंगार किया जाता है ! जो व्यक्ति अपनी मनोकामना पूरी होने पर चोला चढाने का संकल्प लेता है , वह अवश्य ऐसा करता है ! बाबा का चोला प्राय: माह में एक बार बदला जाता है , कई बार एक अधिक बार भी बदला जाता है !
8 - इसके अलावा कुछ लीगो का कहना है कि मंदिरों में आज भी भेद - भाव होता है ?
बाबा के इस दरबार में तो हिन्दू - मुस्लिम - सिख - इसाई सभी आश्रय पाते है , जाति - पाति का भी कोई भेभाव नहीं है !
9 - आरती और भोग के बारे में बताये
मंदिर में आरती की प्रक्रिया जरुरी है , इससे मुर्तिया जाग्रत अवस्था में रहती है ! मकरध्वज बालाजी मंदिर में सुबह शाम आरती होती है ! शाम को विशेष आरती होती है ! कई भक्त इस समय भाव विभोर होकर नृत्य व गान भी करते है ! आरती का जल अमृत के समान है ! आरती जल के छीटे पड़ते ही बिमारिया कोसो दूर हो जाती है ! महाराज स्वयं पर भी छीटे लगाना जरुरी समझते है ! बाबा को लड्डूओं का भोग सबसे ज्यादा चढ़ता है ! मकरध्वज बालाजी भोग में मिश्री , चने , रोठ , मिठाई का नेवेद्य पुजारी जी के घर से लगता है और श्रद्धालु यात्री द्वारा भी लगाया जाता है !
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यहाँ रोजाना आरती में भूत-प्रेतों का मेला लगता है। इसीलिए धाम को भूतों का सुप्रीम कोर्ट कहा जाता है। इस शीर्ष अदालत में सभी को न्याय मिलता है। प्रेत बाधा से पीड़ित लोग यहां आते है और मकरध्वज बालाजी की अपार महिमा और कृपा से खुश और संतुष्ट होकर लौटते है। भूत पिशाच से पीड़ित महिला और पुरुष दोनों होते है।
अगर कोई भूत प्रेत से परेशान है और उन्हें झाड-फूंक वाले बाबाओ से कोई लाभ नही मिला है तो वे लोग निराश ना हो मकरध्वज बालाजी का ये एक ऎसा धाम है, जहाँ आरती होते ही प्रेत ग्रसित रोगी के शरीर मे प्रेत खुद आकर बताता है कि वो कोन है और किसलिये रोगी को परेशान कर रहा है और बाबा सॆ बार-बार प्रार्थना करता है कि बाबा मुझ पर दया करो मै अब कभी भी इस रोगी को नही सताऊँगा ! यहां प्रेत बाधा तो दूर होती ही है, भक्तो की मनवांछित कामनाये भी पूरी होती है। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
-संभवतः संपूर्ण भारत देश में ब्यावर का यह एक मात्र अनूठा मंदिर है, जहां वर्तमान में एक ही स्थान पर हनुमान और उनके पुत्र मकरध्वज अर्थात दोनों पिता-पुत्र की पूजा अर्चना की जाती है। इतिहास व पुराणों के अनुसार भगवान श्रीराम ने प्रायः एकादश सहस्त्र वर्ष तक पृथ्वी पर शासन कर राम राज्य की स्थापना की। फिर श्रीराम के नित्य साकेत धाम प्रस्थान का समय हुआ, तब उहोंने हनुमान को ‘‘जब तक राम नाम संसार में रहे, तब तक जीवन्मुक्त होकर इस पृथ्वी पर सुखपूर्वक रहो’’ यह वरदान दिया और हनुमंत-सुत मकरध्वज को भगवान श्रीराम ने यह वरदान दिया कि ‘‘कलियुग में ये जाग्रत देव के रूप में भक्तों का समभाव से संकट निवारण करेंगे, उनकी मनोकामनाएं पूरी करेंगे।’’ तदुसार कलियुग के इस चरण में मगरांचल के मध्य भूभाग से जहां पूर्व में मकरध्वज का सिंहासन था, उस पावन स्थल पर मकरध्वज बालाजी के विग्रह का प्राकट्य हुआ। उसी समय अपनी जन्मभूमि से हनुमान बालाजी भी सविग्रह यहां पुत्र के साथ विराजमान हो गये।
प्रत्येक मंगलवार-शनिवार को देश के सुदूर भागों से सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु यहां दर्शनार्थ एकत्रित होते हैं, मेले जैसा दृश्य रहता है। पूरा मंदिर परिसर श्रद्धालुओं-पीड़ितों से भर जाता है। कोई सिर घुमा रहा है, कोई ‘छोड़ दे बाबा’ अब नहीं आऊंगी’ चिल्ला रहा है, तो कोई भजन कीर्तन, रामधुनी या हनुमान चालीसा का पाठ कर रहा है, तो कोई गोरख धूणे की परिक्रमा कर रहा है। उस वक्त नजारा और भी देखने लायक हो जाता है, जब दर्शनार्थी पूर्ण आस्था से एक स्वर में ‘सच्चे दरबार की जय’ तथा " जय बाबा की-जय बाबा " की बोलते हैं !
भूत-प्रेत बाधा ग्रस्त व्यक्ति के इलाज की प्रक्रिया भी यहां बड़ी विचित्र है और अदालती तौर-तरीके से सम्पन्न होती है। सर्वप्रथम व्याधि ग्रस्त व्यक्ति को मंदिर में लाया जाता है, जहां वह अपनी दरख्वास्त या अर्जी पेश करता है। सामान्यतः अर्जी मंजूर हो जाती है। किंतु किसी प्रकरण में ऐसा न हो तो सेवाधारी की सहायता से पुनः अपील की जाती है। अर्जी या अपील की चढ़ावे की सामग्री का ही प्रसाद रोगी को दिया जाता है। फिर बालाजी की प्रतिमा में ध्यान लगाते ही वह झूमने लगता है और उसमें विद्यमान प्रेतात्मा बोलने लगती है तथा अपना परिचय देते हुए रोगी के शरीर में रहने का कारण बताती है। मकरध्वज बालाजी के अदृश्य दूतों की पिटाई से आक्रांत प्रेतात्मा भागने का प्रयास करती है। किंतु दूतों द्वारा उसे गिरफ्तार कर बाबा के दरबार में प्रस्तुत कर दिया जाता है। यदि प्रेतात्माएं स्वयं को मकरध्वज बालाजी के चरणों में समर्पित कर देती है तो उसे बालाजी अपनी शरण में ले लेते हैं अन्यथा दुष्टात्मा को सूली पर टांग दिया जता है। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
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~ तत्काल पूरी होती है - मनोकामना यहाँ ~
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यहां शारीरिक-मानसिक व्याधियों के अलावा भूत-प्रेत डाकिन-चुडेल, जादू-टोने आदि बाधाओं से मुक्ति मिलती ही है, साथ में मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। हजारों भक्त इनके चमत्कार से लाभान्वित हुए हैं। यहां इतने साक्षात चमत्कार देखने को मिलते हैं, कि नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं। बाबा के भक्तों में प्रोफेसर, डाॅक्टर और वकील जैसे तार्किक वर्ग के शिक्षितों का समावेश इसी तथ्य का परिचायक है। यहां की गई पूजा कभी निष्फल नहीं जाती तथा इस दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता। जो जितना मांगता है, भगवान उसे खुले दिल से देते हैं। प्रभु के इस जाग्रत दरबार में हाजरी-अर्जी लगाने मात्र से भक्त को अभयदान मिलता है।
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~~~ तंत्र साधको का पुण्य क्षेत्र ~~~
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मकरध्वज बालाजी धाम परिसर में महायोगी गोरखनाथ, घंटाकर्ण महावीर, भैरवनाथ, श्मशानेश्वर, प्रेतराज, समाधि नाथ महाराज की प्रतिमायें प्रतिष्ठित हैं। ये सभी देव प्रतिमायें एवं पूजन स्थल अदभुत, आकर्षक एवं चमत्कारी हैं तथा साक्षात परचा देते हैं। इन सबके कारण यहां की पुण्य भूमि अलौकिक शक्तियों से युक्त है। काल क्रम में इन देव शक्तियों ने अपनी लीला फैलायी। फलस्वरूप इस दरबार की महिमा इतनी जग प्रसिद्ध हो गई कि भक्तों की ओर से इन्हें ‘हाथ का हजूर’ और ‘जागती-जोत’ माना जाता है। यही कारण है कि अनेकानेक साधक अपनी साधना में लीन होकर भांति-भांति के तांत्रिक प्रयोग करते रहते हैं। गैरिक, रक्त, पीत वर्णी वस्त्र पहने तांत्रिक नित्य यहां प्रभु चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और अपने उपयोगी संस्कृत मंत्रों, इंद्रजाल विद्या, शाबर मंत्रों की साधना की सिद्धि में लगे रहते हैं।यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
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~ त्रेतायुगीन संदर्भों से जुड़ा है ~ मकरध्वज बालाजी का धाम ~
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ब्यावर के बलाड़ मार्ग के मध्य भूभाग पर विद्यमान यह प्रख्यात मंदिर त्रेतायुगीन संदर्भों से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि त्रेतायुग मंे हनुमान जी के श्रम बूंद से उत्पन्न पुत्र मकरध्वज ने लंका विजय अभियान में श्रीराम का साथ दिया था तब श्रीराम ने उन्हें पातालपुरी का राज्य प्रदान किया। परंतु मकरध्वज के हनुमंत-सुत होने के कारण देवी सीता के आग्रह पर भगवान श्रीराम ने उन्हें पाताल से बुलाकर तीर्थराज पुष्कर के निकट नरवर से दिवेर तक के कांतार प्रदेश का अधिपति बना दिया। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
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~ बिना तंत्र मन्त्र के प्रेत बाधा से मुक्ति ~
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तंत्र-मंत्रादि, उपरी शक्तियों से ग्रसित व्यक्ति भी यहां पर बिना किसी दवा-दारू और तंत्र मंत्रादि से स्वस्थ होकर लौटते हैं। यहां शारीरिक-मानसिक व्याधियों के अलावा भूत-प्रेत डाकिन-चुडेल, जादू-टोने आदि बाधाओं से मुक्ति मिलती ही है, साथ में मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। हजारों भक्त इनके चमत्कार से लाभान्वित हुए हैं। यहां की गई पूजा कभी निष्फल नहीं जाती तथा इस दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता। जो जितना मांगता है, भगवान उसे खुले दिल से देते हैं। यहां आने का सौभाग्य केवल उसे ही मिलता है, जिसे बाबा स्वयं बुलाते हैं, क्योंकि कलियुग में पापी जीवों का यहां पहुंचना दुर्लभ है। यहां इतने साक्षात चमत्कार देखने को मिलते हैं कि नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
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~~ तंत्र विद्या का सिद्ध स्थल ~~
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इसी स्थल पर प्राचीनकाल में नाथ संप्रदाय के गुरु गोरखनाथ ने दीर्घकाल तक तप किया था और यहां नाथ सिद्ध पीठ-ध्वज पंथ की स्थापना की थी। वर्तमान मंदिर परिसर में स्थित महायोगी गोरखनाथ का धूणा भी बहुत सी रहस्यमयी शक्तियों से परिपूर्ण है। लोक-श्रुति के अनुसार गोरख-धूणें की 7 परिक्रमा लगाने से संकट निवारण होकर कामना की पूर्ति होती है। यहां वट वृक्ष के निकट नाथ वंशजों की बहुत सी समाधियां हैं।
मनुष्य शारीरिक, मानसिक और बाहरी (भूत-प्रेत) नजर इत्यादि बीमारियों से परेशान रहता है। शारीरिक बीमारी के लिए डॉक्टर या वैद्य के पास जाकर मनुष्य ठीक हो जाता है। मानसिक बीमारी का सरलतम उपाय हो जाता है। परंतु मनुष्य जब भूत-प्रेत अथवा नजर, हाय या किसी दुष्ट आत्मा के जाल में फँस जाता है तब वह परेशान हो जाता है।यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
हर बाधा का निवारण करते हैं मकरध्वज बालाजी--
चारो और चमत्कार ~ मकरध्वज बालाजी धाम--
राजस्थान के अजमेर से 50 किलोमीटर दूर स्थित ब्यावर नगर, कलियुग के साक्षात चिर आराध्य एवं जन आस्था के लोक मंगलकारी देव मकरध्वज बालाजी के कारण संपूर्ण देश के नर-नारियों का पुण्य आराधना धाम बन गया है। यहां शारीरिक-मानसिक व्याधियों के अलावा भूत-प्रेत डाकिन-चुडेल, जादू-टोने आदि बाधाओं से मुक्ति मिलती ही है, साथ में मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। यहां इतने साक्षात चमत्कार देखने को मिलते हैं, कि नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
त्रेतायुगीन संदर्भों से जुड़ा ब्यावर के बलाड़ रोड़ पर यह प्रख्यात मंदिर विद्यमान है। यह धाम नाना गाथाओं-मान्यताओं को समेटे हुये उपासकों-भक्तों, तंत्रविदों के लिए जाग्रत साधना केंद्र बना हुआ है। मकरध्वज बालाजी के दर्शनार्थ दूर-दूर से आये भक्तों का मेला तो प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को लगता है, परंतु चैत्र पूर्णिमा-हनुमान जयंती, आषाढ़ पूर्णिमा गोरखनाथ गुरु महोत्सव, भाद्रपद पूर्णिमा, मकरध्वज जयंती पर बाबा के इस तीर्थधाम का विशेष आकर्षण अपने भक्तों को अपनी ओर आकृष्ट करता है। ऐसे पावन अवसरों पर हजारों, लाखों की संख्या में भक्त पुरुष-नारी, बच्चे-बूढ़े भक्ति भाव से युक्त हो अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए मकरध्वज बालाजी को नारियल, छत्र, ध्वजा, चोला-श्रंृगार, भोग-प्रसाद चढ़ाते हैं।
पूजन-अर्चन और भक्तों की भीड़ का क्रम मकरध्वज बालाजी धाम का सहज आकर्षण है। इस धाम के प्रति लोगों की अटूट आस्था है। मकरध्वज बालाजी धाम को चैरासी लाख योनियों के बंधन से मनुष्य को मुक्त कराने वाला महातीर्थ कहा गया है। मान्यता है कि इस सिद्ध-पीठ की चैरासी मंगलवार या चैरासी पूर्णिमा को जो श्रद्धालु अनवरत दर्शन-परिक्रमा करता है, वह 84 लाख योनियों के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।
ब्यावर-राजस्थान के बलाड रोड स्थित श्री मकरध्वज बालाजी महाराज देश ही नहीं दुनिया भर में लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं। कहते हैं कि यह ऐसा स्थान है जहां नास्तिक से नास्तिक व्यक्ति भी आस्तिक बन जाता है, आज के वैज्ञानिक युग के वैज्ञानिक भी यहां नतमस्तक हुए बगैर नहीं रहते है। चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा ही अपनी ओर खींच लेता है। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
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राजस्थान में ब्यावर नगर के बलाड मार्ग पर विद्यमान यह प्रख्यात मंदिर त्रेतायुगीन संदर्भो से जुडा हुआ है ! बताया जाता है कि त्रेता युग में हनुमान जी के श्रम बूंद से उत्पन्न पुत्र मकरध्वज ने लंका विजय अभियान में श्रीराम का साथ दिया था तब श्रीराम ने उन्हें पातालपुरी का राज्य प्रदान किया। परंतु मकरध्वज के हनुमंत-सुत होने के कारण देवी सीता के आग्रह पर भगवान श्रीराम ने उन्हें पाताल से बुलाकर तीर्थराज पुष्कर के निकट नरवर से दिवेर तक के कांतार प्रदेश का अधिपति बना दिया। श्रीराम के नित्य साकेत धाम प्रस्थान के समय उहोंने हनुमान को ‘‘जब तक राम नाम संसार में रहे, तब तक जीवन्मुक्त होकर इस पृथ्वी पर सुखपूर्वक रहो’’ यह वरदान दिया और हनुमंत-सुत मकरध्वज को भगवान श्रीराम ने यह वरदान दिया कि ‘‘कलियुग में ये जाग्रत देव के रूप में भक्तों का समभाव से संकट निवारण करेंगे, उनकी मनोकामनाएं पूरी करेंगे।’’ तदुसार कलियुग के इस चरण में मगरांचल के मध्य भूभाग से जहां पूर्व में मकरध्वज का सिंहासन था, उस पावन स्थल पर मकरध्वज बालाजी के विग्रह का प्राकट्य हुआ। उसी समय हनुमान बालाजी भी सविग्रह यहां पुत्र के साथ विराजमान हो गये। कालांतर में वर्तमान महंत के पुवाचार्यो ने मंदिर का निर्माण एवं जीर्णोद्दार करवाया !यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
2 - मंदिर की बनावट के बारे में बताये ? क्या किसी विशेष शैली में बना है मकरध्वज बालाजी धाम ?
मुझे नहीं लगता कि किसी विशेष शैली में यह मंदिर बना है , वास्तु शिल्प के द्रष्टिकोण से भले ही यह धाम महत्वपूर्ण नहीं हो परन्तु अपनी चमत्कारी प्रभावशीलता के दृष्टिकोण से यह बहुत महत्वपूर्ण है !यहां इतने साक्षात चमत्कार देखने को मिलते हैं, कि नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं। बाबा के भक्तों में प्रोफेसर, डाॅक्टर और वकील जैसे तार्किक वर्ग के शिक्षितों का समावेश इसी तथ्य का परिचायक है। यहां एक नहीं कई-कई लोगों के मुख से सुना है कि अस्पताल के उपचार, चिकित्सकीय परामर्श से लाभ नहीं मिला तो वे यहां आये और स्वास्थ्य लाभ लिया। यहां दवा कुछ नहीं बाबा की ज्योति की भभूत, धागा और जल ही लकवा, मिरगी, टी.बी., संताहीनता, शुगर, अनिद्रा, ब्लड प्रेशर जैसे अनेक दुसाध्य तथा असाध्य रोगों में लाभकर होता है।यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
3 - वर्तमान मंदिर में किस - किस ईश्वर का विग्रह रूप स्थापित है ?
मकरध्वज बालाजी धाम परिसर में गुरु गोरखनाथ , घंटाकर्ण महावीर, भैरवनाथ, श्मशानेश्वर, प्रेतराज, समाधि नाथ महाराज की प्रतिमायें प्रतिष्ठित हैं। ये सभी देव प्रतिमायें एवं पूजन स्थल अदभुत, आकर्षक एवं चमत्कारी हैं तथा साक्षात परचा देते हैं। इन सबके कारण यहां की पुण्य भूमि अलौकिक शक्तियों से युक्त है। काल क्रम में इन देव शक्तियों ने अपनी लीला फैलायी। फलस्वरूप इस दरबार की महिमा इतनी जग प्रसिद्ध हो गई कि भक्तों की ओर से इन्हें ‘हाथ का हजूर’ और ‘जागती-जोत’ माना जाता है।
4 - अन्य मंदिरों से कितना अलग है यह धाम ? कोई मुख्य विशेषता ?
विश्वास किया जाता है कि यहां की गई पूजा कभी निष्फल नहीं जाती तथा इस दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता। जो जितना मांगता है, भगवान उसे खुले दिल से देते हैं। यहां आने का सौभाग्य केवल उसे ही मिलता है, जिसे बाबा स्वयं बुलाते हैं, क्योंकि कलियुग में पापी जीवों का यहां पहुंचना दुर्लभ है। प्रभु के इस जाग्रत दरबार में हाजरी-अर्जी लगाने मात्र से भक्त को अभयदान मिलता है। यहां शारीरिक-मानसिक व्याधियों के अलावा भूत-प्रेत डाकिन-चुडेल, जादू-टोने आदि बाधाओं से मुक्ति मिलती ही है, साथ में मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। हजारों भक्त इनके चमत्कार से लाभान्वित हुए हैं। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
5 - मंदिर में किस दिन विशेष पूजन किया जाता है ?
मकरध्वज बालाजी के मंदिर में प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजन अर्चन किया जाता है इन दिनों दूर-दूर से आये भक्तो का मेला सा लगता है, परंतु चैत्र पूर्णिमा-हनुमान जयंती, आषाढ़ पूर्णिमा गोरखनाथ गुरु महोत्सव, भाद्रपद पूर्णिमा, मकरध्वज जयंती पर बाबा के इस तीर्थधाम का विशेष आकर्षण अपने भक्तों को अपनी ओर आकृष्ट करता है। ऐसे पावन अवसरों पर हजारों, लाखों की संख्या में भक्त पुरुष-नारी, बच्चे-बूढ़े भक्ति भाव से युक्त हो अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए मकरध्वज बालाजी को नारियल, छत्र, ध्वजा, चोला-श्रंृगार, भोग-प्रसाद चढ़ाते हैं। पूजन-अर्चन और भक्तों की भीड़ का क्रम मकरध्वज बालाजी धाम का सहज आकर्षण है।
6 - इसके अलावा और कोई मुख्य विशेषता जो आप हमें बताना चाहे ?
संपूर्ण भारत देश में ब्यावर का यह एक मात्र अनूठा मंदिर है, जहां वर्तमान में एक ही स्थान पर हनुमान और उनके पुत्र मकरध्वज अर्थात दोनों पिता-पुत्र की पूजा अर्चना की जाती है। इसी स्थल पर प्राचीनकाल में नाथ संप्रदाय के गुरु गोरखनाथ ने दीर्घकाल तक तप किया था और यहां नाथ सिद्ध पीठ-ध्वज पंथ की स्थापना की थी। वर्तमान मंदिर परिसर में स्थित महायोगी गोरखनाथ का धूणा भी बहुत सी रहस्यमयी शक्तियों से परिपूर्ण है। लोक-श्रुति के अनुसार गोरख-धूणें की 7 परिक्रमा लगाने से संकट निवारण होकर कामना की पूर्ति होती है। यहां वट वृक्ष के निकट नाथ वंशजों की बहुत सी समाधियां हैं।
7 - यह जो चोला है किस चीज का बना होता है , क्या यह किसी विशेष प्रकार का वस्त्र है ?
मकरध्वज बालाजी को सिंदूर बहुत प्रिय है , अत: सिंदूर , तिल्ली तेल , देशी घी , चमेली तेल , गुलाब इत्र का मिश्रण कर मूर्ति पर लेप किया जाता है - इसे " चोला " चढ़ाना भी बोलते है , फिर उस पर बर्क से श्रंगार किया जाता है ! जो व्यक्ति अपनी मनोकामना पूरी होने पर चोला चढाने का संकल्प लेता है , वह अवश्य ऐसा करता है ! बाबा का चोला प्राय: माह में एक बार बदला जाता है , कई बार एक अधिक बार भी बदला जाता है !
8 - इसके अलावा कुछ लीगो का कहना है कि मंदिरों में आज भी भेद - भाव होता है ?
बाबा के इस दरबार में तो हिन्दू - मुस्लिम - सिख - इसाई सभी आश्रय पाते है , जाति - पाति का भी कोई भेभाव नहीं है !
9 - आरती और भोग के बारे में बताये
मंदिर में आरती की प्रक्रिया जरुरी है , इससे मुर्तिया जाग्रत अवस्था में रहती है ! मकरध्वज बालाजी मंदिर में सुबह शाम आरती होती है ! शाम को विशेष आरती होती है ! कई भक्त इस समय भाव विभोर होकर नृत्य व गान भी करते है ! आरती का जल अमृत के समान है ! आरती जल के छीटे पड़ते ही बिमारिया कोसो दूर हो जाती है ! महाराज स्वयं पर भी छीटे लगाना जरुरी समझते है ! बाबा को लड्डूओं का भोग सबसे ज्यादा चढ़ता है ! मकरध्वज बालाजी भोग में मिश्री , चने , रोठ , मिठाई का नेवेद्य पुजारी जी के घर से लगता है और श्रद्धालु यात्री द्वारा भी लगाया जाता है !
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यहाँ रोजाना आरती में भूत-प्रेतों का मेला लगता है। इसीलिए धाम को भूतों का सुप्रीम कोर्ट कहा जाता है। इस शीर्ष अदालत में सभी को न्याय मिलता है। प्रेत बाधा से पीड़ित लोग यहां आते है और मकरध्वज बालाजी की अपार महिमा और कृपा से खुश और संतुष्ट होकर लौटते है। भूत पिशाच से पीड़ित महिला और पुरुष दोनों होते है।
अगर कोई भूत प्रेत से परेशान है और उन्हें झाड-फूंक वाले बाबाओ से कोई लाभ नही मिला है तो वे लोग निराश ना हो मकरध्वज बालाजी का ये एक ऎसा धाम है, जहाँ आरती होते ही प्रेत ग्रसित रोगी के शरीर मे प्रेत खुद आकर बताता है कि वो कोन है और किसलिये रोगी को परेशान कर रहा है और बाबा सॆ बार-बार प्रार्थना करता है कि बाबा मुझ पर दया करो मै अब कभी भी इस रोगी को नही सताऊँगा ! यहां प्रेत बाधा तो दूर होती ही है, भक्तो की मनवांछित कामनाये भी पूरी होती है। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
-संभवतः संपूर्ण भारत देश में ब्यावर का यह एक मात्र अनूठा मंदिर है, जहां वर्तमान में एक ही स्थान पर हनुमान और उनके पुत्र मकरध्वज अर्थात दोनों पिता-पुत्र की पूजा अर्चना की जाती है। इतिहास व पुराणों के अनुसार भगवान श्रीराम ने प्रायः एकादश सहस्त्र वर्ष तक पृथ्वी पर शासन कर राम राज्य की स्थापना की। फिर श्रीराम के नित्य साकेत धाम प्रस्थान का समय हुआ, तब उहोंने हनुमान को ‘‘जब तक राम नाम संसार में रहे, तब तक जीवन्मुक्त होकर इस पृथ्वी पर सुखपूर्वक रहो’’ यह वरदान दिया और हनुमंत-सुत मकरध्वज को भगवान श्रीराम ने यह वरदान दिया कि ‘‘कलियुग में ये जाग्रत देव के रूप में भक्तों का समभाव से संकट निवारण करेंगे, उनकी मनोकामनाएं पूरी करेंगे।’’ तदुसार कलियुग के इस चरण में मगरांचल के मध्य भूभाग से जहां पूर्व में मकरध्वज का सिंहासन था, उस पावन स्थल पर मकरध्वज बालाजी के विग्रह का प्राकट्य हुआ। उसी समय अपनी जन्मभूमि से हनुमान बालाजी भी सविग्रह यहां पुत्र के साथ विराजमान हो गये।
प्रत्येक मंगलवार-शनिवार को देश के सुदूर भागों से सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु यहां दर्शनार्थ एकत्रित होते हैं, मेले जैसा दृश्य रहता है। पूरा मंदिर परिसर श्रद्धालुओं-पीड़ितों से भर जाता है। कोई सिर घुमा रहा है, कोई ‘छोड़ दे बाबा’ अब नहीं आऊंगी’ चिल्ला रहा है, तो कोई भजन कीर्तन, रामधुनी या हनुमान चालीसा का पाठ कर रहा है, तो कोई गोरख धूणे की परिक्रमा कर रहा है। उस वक्त नजारा और भी देखने लायक हो जाता है, जब दर्शनार्थी पूर्ण आस्था से एक स्वर में ‘सच्चे दरबार की जय’ तथा " जय बाबा की-जय बाबा " की बोलते हैं !
भूत-प्रेत बाधा ग्रस्त व्यक्ति के इलाज की प्रक्रिया भी यहां बड़ी विचित्र है और अदालती तौर-तरीके से सम्पन्न होती है। सर्वप्रथम व्याधि ग्रस्त व्यक्ति को मंदिर में लाया जाता है, जहां वह अपनी दरख्वास्त या अर्जी पेश करता है। सामान्यतः अर्जी मंजूर हो जाती है। किंतु किसी प्रकरण में ऐसा न हो तो सेवाधारी की सहायता से पुनः अपील की जाती है। अर्जी या अपील की चढ़ावे की सामग्री का ही प्रसाद रोगी को दिया जाता है। फिर बालाजी की प्रतिमा में ध्यान लगाते ही वह झूमने लगता है और उसमें विद्यमान प्रेतात्मा बोलने लगती है तथा अपना परिचय देते हुए रोगी के शरीर में रहने का कारण बताती है। मकरध्वज बालाजी के अदृश्य दूतों की पिटाई से आक्रांत प्रेतात्मा भागने का प्रयास करती है। किंतु दूतों द्वारा उसे गिरफ्तार कर बाबा के दरबार में प्रस्तुत कर दिया जाता है। यदि प्रेतात्माएं स्वयं को मकरध्वज बालाजी के चरणों में समर्पित कर देती है तो उसे बालाजी अपनी शरण में ले लेते हैं अन्यथा दुष्टात्मा को सूली पर टांग दिया जता है। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
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~ तत्काल पूरी होती है - मनोकामना यहाँ ~
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यहां शारीरिक-मानसिक व्याधियों के अलावा भूत-प्रेत डाकिन-चुडेल, जादू-टोने आदि बाधाओं से मुक्ति मिलती ही है, साथ में मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। हजारों भक्त इनके चमत्कार से लाभान्वित हुए हैं। यहां इतने साक्षात चमत्कार देखने को मिलते हैं, कि नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं। बाबा के भक्तों में प्रोफेसर, डाॅक्टर और वकील जैसे तार्किक वर्ग के शिक्षितों का समावेश इसी तथ्य का परिचायक है। यहां की गई पूजा कभी निष्फल नहीं जाती तथा इस दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता। जो जितना मांगता है, भगवान उसे खुले दिल से देते हैं। प्रभु के इस जाग्रत दरबार में हाजरी-अर्जी लगाने मात्र से भक्त को अभयदान मिलता है।
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~~~ तंत्र साधको का पुण्य क्षेत्र ~~~
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मकरध्वज बालाजी धाम परिसर में महायोगी गोरखनाथ, घंटाकर्ण महावीर, भैरवनाथ, श्मशानेश्वर, प्रेतराज, समाधि नाथ महाराज की प्रतिमायें प्रतिष्ठित हैं। ये सभी देव प्रतिमायें एवं पूजन स्थल अदभुत, आकर्षक एवं चमत्कारी हैं तथा साक्षात परचा देते हैं। इन सबके कारण यहां की पुण्य भूमि अलौकिक शक्तियों से युक्त है। काल क्रम में इन देव शक्तियों ने अपनी लीला फैलायी। फलस्वरूप इस दरबार की महिमा इतनी जग प्रसिद्ध हो गई कि भक्तों की ओर से इन्हें ‘हाथ का हजूर’ और ‘जागती-जोत’ माना जाता है। यही कारण है कि अनेकानेक साधक अपनी साधना में लीन होकर भांति-भांति के तांत्रिक प्रयोग करते रहते हैं। गैरिक, रक्त, पीत वर्णी वस्त्र पहने तांत्रिक नित्य यहां प्रभु चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और अपने उपयोगी संस्कृत मंत्रों, इंद्रजाल विद्या, शाबर मंत्रों की साधना की सिद्धि में लगे रहते हैं।यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
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~ त्रेतायुगीन संदर्भों से जुड़ा है ~ मकरध्वज बालाजी का धाम ~
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ब्यावर के बलाड़ मार्ग के मध्य भूभाग पर विद्यमान यह प्रख्यात मंदिर त्रेतायुगीन संदर्भों से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि त्रेतायुग मंे हनुमान जी के श्रम बूंद से उत्पन्न पुत्र मकरध्वज ने लंका विजय अभियान में श्रीराम का साथ दिया था तब श्रीराम ने उन्हें पातालपुरी का राज्य प्रदान किया। परंतु मकरध्वज के हनुमंत-सुत होने के कारण देवी सीता के आग्रह पर भगवान श्रीराम ने उन्हें पाताल से बुलाकर तीर्थराज पुष्कर के निकट नरवर से दिवेर तक के कांतार प्रदेश का अधिपति बना दिया। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
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~ बिना तंत्र मन्त्र के प्रेत बाधा से मुक्ति ~
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तंत्र-मंत्रादि, उपरी शक्तियों से ग्रसित व्यक्ति भी यहां पर बिना किसी दवा-दारू और तंत्र मंत्रादि से स्वस्थ होकर लौटते हैं। यहां शारीरिक-मानसिक व्याधियों के अलावा भूत-प्रेत डाकिन-चुडेल, जादू-टोने आदि बाधाओं से मुक्ति मिलती ही है, साथ में मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। हजारों भक्त इनके चमत्कार से लाभान्वित हुए हैं। यहां की गई पूजा कभी निष्फल नहीं जाती तथा इस दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता। जो जितना मांगता है, भगवान उसे खुले दिल से देते हैं। यहां आने का सौभाग्य केवल उसे ही मिलता है, जिसे बाबा स्वयं बुलाते हैं, क्योंकि कलियुग में पापी जीवों का यहां पहुंचना दुर्लभ है। यहां इतने साक्षात चमत्कार देखने को मिलते हैं कि नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं। यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
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~~ तंत्र विद्या का सिद्ध स्थल ~~
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इसी स्थल पर प्राचीनकाल में नाथ संप्रदाय के गुरु गोरखनाथ ने दीर्घकाल तक तप किया था और यहां नाथ सिद्ध पीठ-ध्वज पंथ की स्थापना की थी। वर्तमान मंदिर परिसर में स्थित महायोगी गोरखनाथ का धूणा भी बहुत सी रहस्यमयी शक्तियों से परिपूर्ण है। लोक-श्रुति के अनुसार गोरख-धूणें की 7 परिक्रमा लगाने से संकट निवारण होकर कामना की पूर्ति होती है। यहां वट वृक्ष के निकट नाथ वंशजों की बहुत सी समाधियां हैं।
मनुष्य शारीरिक, मानसिक और बाहरी (भूत-प्रेत) नजर इत्यादि बीमारियों से परेशान रहता है। शारीरिक बीमारी के लिए डॉक्टर या वैद्य के पास जाकर मनुष्य ठीक हो जाता है। मानसिक बीमारी का सरलतम उपाय हो जाता है। परंतु मनुष्य जब भूत-प्रेत अथवा नजर, हाय या किसी दुष्ट आत्मा के जाल में फँस जाता है तब वह परेशान हो जाता है।यहाँ के महंत प्रकाश नाथ पिछले अनेक वर्षों से गरीब,लाचार और असहाय लोगो को सहायता हेतु निशुल्क एवं निस्वार्थ भाव से सदेव तत्पर रहते हैं..उनका मोबाईल नंबर हैं--09251901365
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